क्या इज़राइल के पास पाकिस्तान से ज्यादा परमाणु हथियार हैं? जानिए दोनों देशों की ताकत का सच
बीते कुछ समय से पश्चिम एशिया में हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। इज़राइल और ईरान के बीच हमले और जवाबी हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। लेकिन अब इस संघर्ष में एक नया नाम सामने आया है — पाकिस्तान।
ईरानी अधिकारी का बड़ा बयान
ईरान के वरिष्ठ अधिकारी मोहसेन रजई ने हाल ही में एक बयान देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा,
“अगर इज़राइल ने ईरान पर परमाणु हमला किया, तो इसका जवाब पाकिस्तान देगा।”
इस बयान के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि क्या वाकई पाकिस्तान के पास इतनी ताकत है? और क्या वह इज़राइल से ज्यादा परमाणु बम रखता है?
चलिए तथ्यों पर एक नजर डालते हैं
विश्व स्तर पर सुरक्षा मामलों की रिपोर्ट देने वाली संस्थाएं जैसे कि SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) और बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स के आंकड़ों के मुताबिक:
- पाकिस्तान के पास करीब 165 से 170 परमाणु हथियार हैं।
- वहीं इज़राइल के पास अनुमानित तौर पर 80 से 90 परमाणु हथियार माने जाते हैं।
यानी संख्या के लिहाज़ से देखा जाए तो पाकिस्तान इज़राइल से आगे है। लेकिन यह पूरी तस्वीर नहीं है।
सिर्फ संख्या नहीं, रणनीति भी मायने रखती है
इज़राइल ने आज तक कभी खुलकर स्वीकार नहीं किया कि उसके पास परमाणु हथियार हैं। उसे “अस्पष्ट परमाणु नीति (Nuclear Ambiguity)” के लिए जाना जाता है।
वहीं पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति के रूप में खुद को दुनिया के सामने पेश किया है, खासकर भारत के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्तों को ध्यान में रखते हुए।
लेकिन परमाणु हथियारों की ताकत सिर्फ गिनती की बात नहीं होती। इसमें कई पहलू शामिल होते हैं — प्रक्षेपण प्रणाली (Delivery Systems), परमाणु नीति, अंतरराष्ट्रीय समर्थन, तकनीकी कुशलता और रणनीतिक सोच।
क्या पाकिस्तान वाकई इज़राइल का जवाब देगा?
यह सवाल जितना गंभीर है, उतना ही जटिल भी।
पाकिस्तान ने अब तक अपने बयान से दूरी बनाई है और सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
राजनयिक जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान इस तरह के संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहेगा, खासकर जब मामला ईरान और इज़राइल जैसे देशों के बीच हो।
निष्कर्ष
तो क्या इज़राइल के पास पाकिस्तान से कम परमाणु बम हैं? हां, संख्या में।
लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान ज्यादा ताकतवर है? यह कहना जल्दबाज़ी होगी।
परमाणु ताकत एक बेहद संवेदनशील और रणनीतिक मुद्दा है। इसमें केवल गिनती नहीं, बल्कि सोच-समझ और संयम की भी अहम भूमिका होती है।
आप क्या सोचते हैं? क्या परमाणु हथियारों की संख्या ही किसी देश की शक्ति का पैमाना हो सकती है?
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